Biography of kamarajar in hindi


के कामराज: आजाद भारत के पहले 'किंगमेकर', निधन के वक्‍त जिनके पास थे सिर्फ रुपये

दोबारा मौका मिला, तब भी पीएम नहीं बने कामराज

लाल बहादुर शास्‍त्री के ताशकंद में रहस्‍यमय परिस्थितियों में निधन के बाद एक बार फिर कांग्रेसियों ने कामराज से पीएम बनने को कहा। मगर कामराज की नजरें भविष्‍य पर थीं। उन्‍हें लगता था कि इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री पद की सबसे योग्‍य उम्‍मीदवार हैं। उनकी नजर में इंदिरा नौजवान थी और जोश से भरी हुई थीं, उनमें वे सारी बातें थीं जो भारत को अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर ठीक से प्रॉजेक्‍ट कर सकती थीं। मोरारजी देसाई को दूसरी बार हाथ से कुर्सी जाते देखना बिल्‍कुल रास नहीं आया। शक्ति प्रदर्शन की नौबत आ गई। मगर कांग्रेस संसदीय पार्टी ने इंदिरा को चुना। उन्‍हें इंदिरा से वोट कम मिले।

क्‍या था कामराज प्‍लान?

बड़े-बड़े नेताओं को छोड़ना पड़ा पद

में भारत-चीन युद्ध के बाद नेहरू की विदेशी नीति सवालों के घेरे में थी। ऊपर से वित्‍त मंत्रालय संभाल रहे देसाई ने जनता पर टैक्‍स का बोझ बढ़ा दिया। कांग्रेस की साख घटने लगी। में लोकसभा के तीन उपचुनाव हुए और तीनों में कांग्रेस हार गई। ऐसे में कामराज ने एक योजना जवाहरलाल नेहरू के सामने रखी। उनका सुझाव था कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को सरकार में अपने पद छोड़कर पार्टी के लिए काम करना चाहिए। इस योजना को 'कामराज योजना' कहते हैं। हालांकि कांग्रेस के कई नेता इस योजना ने नाखुश थे क्‍योंकि उन्‍हें लगा कि यह उन्‍हें साइडलाइन करने के लिए है।

खैर, प्‍लान को पार्टी ने मंजूरी दे दी और यह लागू भी हो गया। सबसे पहले, गांधी जयंती के दिन में कामराज ने मद्रास राज्‍य के मुख्‍यमंत्री का पद छोड़ा। उनके अलावा बीजू पटनायक और एसके पाटिल सहित 6 मुख्यमंत्रियों और मोरारजी देसाई, जगजीवन राम और लाल बहादुर शास्त्री सहित 6 मंत्रियों ने अपने पद छोड़े थे। सब पार्टी के काम में लग गए।

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सीएम होकर भी बड़ी सादगी से रहते थे कामराज

कुमारस्‍वामी कामराज ने में मद्रास स्‍टेट के मुख्‍यमंत्री का काम संभाला। वह आजाद भारत के शायद पहले ऐसे मुख्‍यमंत्री थे जिन्‍हें अंग्रेजी नहीं आती थी। मगर मद्रास (अब तमिलनाडु) में अगले नौ साल के उनके कार्यकाल को प्रशासन के बेहतरीन दौर के रूप में देखा जाता है। कामराज के नेतृत्‍व में मद्रास के औद्योगिक और कृषि क्षेत्र का बड़े पैमाने पर विकास हुआ।

मुख्‍यमंत्री होने के बावजूद कामराज बड़ी सादगी से रहते थे। सीएम होने के नाते उन्‍हें जेड लेवल की सुरक्षा मिली हुई थी जो उन्‍होंने लेने से मना कर दी। वह कहीं दौरे पर जाते तो सुरक्षा में केवल पुलिस का एक पैट्रोल वीकल चलता था। उनके गृहनगर में घर तक डायरेक्‍ट पानी का कनेक्‍शन दिया गया था जो उन्‍होंने फौरन हटा दिया। तब कामराज का निधन हुआ तो उनके पास केवल रुपये, 2 जोड़ी चप्‍पल, 4 शर्ट और कुछ किताबें थीं।

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